Followers

Wednesday, April 3, 2013

! नूतन ! : वृक्ष की पुकार !वृक्ष करता है पुकार न जाने क...

! नूतन ! : वृक्ष की पुकार !





वृक्ष करता है पुकार न जाने क...
: वृक्ष की पुकार ! वृक्ष करता है पुकार  न जाने कितनी बार ? हे मानव !तुमने इस निर्मम कुल्हाड़ी से  मुझ  पर किया वार . अब तक ...

Wednesday, March 13, 2013

[WOMAN ABOUT MAN]

 

आज करूँ आगाज़ नया ये अपने ज़िक्र को चलो छुपाकर ,
कदर तुम्हारी नारी मन में कितनी है ये तुम्हें बताकर .


 जिम्मेदारी समझे अपनी सहयोगी बन काम करे ,
साथ खड़ी है नारी उसके उससे आगे कदम बढाकर .



 बीच राह में साथ छोड़कर नहीं निभाता है रिश्तों को ,
अपने दम पर खड़ी वो होती ऐसे सारे गम भुलाकर .


 कैद में रखना ,पीड़ित करना ये न केवल तुम जानो ,
जैसे को तैसा दिखलाया है नारी ने हुक्म चलाकर .


 धीर-वीर-गंभीर पुरुष का हर नारी सम्मान करे ,
आदर पाओ इन्हीं गुणों को अपने जीवन में अपनाकर .


 जो बोओगे वो काटोगे इस जीवन का सार यही ,
नारी से भी वही मिलेगा जो तुम दोगे साथ निभाकर .


 जीवन रथ के नर और नारी पहिये हैं दो मान यही ,
''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर .
            
           शालिनी कौशिक
  [WOMAN ABOUT MAN]


आज तक पुरुष ही महिला के सम्बन्ध में अपने विचार अभिव्यक्त करता रहा है और इस समबन्ध में ब्लॉग जगत में बहुत से ब्लॉग हैं जैसे भारतीय नारी ,नारी आदि .८ मार्च २०१३ से मैंने भी एक सामूहिक ब्लॉग की शुरुआत की है जिसका नाम है ''  [WOMAN ABOUT MAN] '' .यहाँ आप सभी महिला ब्लोगर्स आकर पुरुषों के सम्बन्ध में अपने सकारात्मक ,नकारात्मक जो भी विचार हों और उनसे जुड़े जो खट्टे -मीठे अनुभव हों सम्पूर्ण ब्लॉग जगत से साझा कर सकती है .यदि आप मेरे इस ब्लॉग से जुड़ने की आकांक्षी हैं तो मेरे इस  इ मेल पर मेल करें - kaushik_shalini@hotmail.com

Tuesday, August 28, 2012

हज यात्रियों को मिलेगा सउदी का सिमकार्ड

Image Loading
इस साल हज पर जाने वाले भारतीय नागरिकों को पहली बार सउदी टेलीकॉम की ओर से सिमकार्ड बेहद किफायती  दर पर मुहैया कराया जाएगा। जेददा में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने एक बयान में कहा कि इस सिमकार्ड के जरिए कॉल करने की दर पांच रियाल होगी, जबकि इनकमिंग मुफ्त होगी। इस सिमकार्ड में पहले से ही सभी संबंधित अधिकारियों और कुछ दूसरे महत्वपूर्ण नंबर भी होंगे। बयान में कहा गया है कि ये सिमकार्ड भारत में ही विभिन्न स्थानों पर दिए जाएंगे ताकि हज यात्रियों के परिवार के लोग ये नंबर पहले से ही जान सकें। महावाणिज्य दूतावास ने कहा कि भारतीय हज यात्रियों को पूरी सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। 
Source : http://www.livehindustan.com/news/videsh/international/article1-Haj-Saudi-SIM-Cards-Indian-Haj-pilgrims-2-2-256582.html

Friday, April 13, 2012

निर्मल बाबा को मीडिया ने ही चढ़ाया, वही उतार रहा है

समागम के नाम पर दरबार लगा कर अपने भक्तों की समस्याओं का चुटकी में कथित समाधान करने की वजह से लोकप्रिय हो रहे निर्मल बाबा स्वाभाविक रूप से संस्पैंस बढऩे के कारण यकायक इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के निशाने पर आ गए हैं। स्टार न्यूज ने अपने क्राइम के सीरियल सनसनी पर एक विशेष रिपोर्ट प्रसारित कर उनका पूरा पोस्टमार्टम ही कर दिया है। अब तक उनके बारे में कोई विशेष जानकारी किसी समाचार माध्यम पर उपलब्ध नहीं थी, उसे भी कोई एक माह की मशक्कत के बाद उजागर किया है कि आखिर उनकी विकास यात्रा की दास्तान क्या है। इतना ही नहीं उन पर एक साथ दस सवाल दाग दिए हैं। दिलचस्प मगर अफसोसनाक बात ये है कि ये वही स्टार न्यूज चैनल है, जो प्रतिदिन उनका विज्ञापन भी जारी करता रहा है और अब न्यूज चैनलों पर विज्ञापनों के जरिए चमत्कारों को बढ़ावा देने से की प्रवृत्ति से बचने की दुहाई देते हुए बड़ी चतुराई से बाबा के करोड़ों रुपए कमाने पर सवाल खड़े कर रहा है। इतना ही नहीं अपने आप को ईमानदार जताने के लिए विज्ञापन अनुबंध की तय समय सीमा समाप्त होने के बाद वह इसका प्रसारण बंद करने की भी घोषणा कर रहा है।
सवाल उठता है कि यदि वाकई स्टार न्यूज को चमत्कारी बाबाओं का महिमा मंडन किए जाने पर ऐतराज रहा है, तो यह उसे अब कैसे सूझा कि ऐसे विज्ञापन नहीं दिखाए जाने चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि या तो विज्ञापन की रेट को लेकर विवाद हुआ होगा या फिर ये लगा होगा कि जितनी कमाई बाबा के विज्ञापन से हो रही है, उससे कहीं अधिक का फायदा तो टीआरपी बढऩे से ही हो जाएगा। वजह स्पष्ट है कि जब सारे चैनल किसी के गुणगान में जुटे हों तो जो भी चैनल उसका नकारात्मक पहलु दिखाएगा, दुनिया उसी की ओर आकर्षित होगी। इसी मसले से जुड़ी एक तथ्यात्मक बात ये भी है कि स्टार न्यूज ने बाबा के बारे में जो जानकारी बटोरने का दावा किया है, वह सब कुछ तो सोशल मीडिया पर पहले से ही आने लग गई थी। उसे लगा होगा कि जब बाबा की खिलाफत शुरू हुई है तो कोई और चैनल भी दिखा सकता है, सो मुद्दे को तुरंत लपक लिया। मुद्दा उठाने को तर्कसंगत बनाने के लिए प्रस्तावना तक दी, जिसकी भाषा यह साबित करती प्रतीत होती है, मानो चैनलों की भीड़ में अकेला वही ईमानदार है।
असल में निर्मल बाबा चमत्कारी पुरुष हैं या नहीं या उनका इस प्रकार धन बटोरना जायज है या नाजायज, इस विवाद को एक तरफ भी रख दिया जाए, तो सच ये है कि उन्हें चमत्कारी पुरुष के रूप में स्थापित करने और नोट छापने योग्य बनाने का श्रेय इलैक्ट्रॉनिक मीडिया को जाता है। बताते हैं कि इस वक्त कोई चालीस चैनलों पर निर्मल बाबा के दरबार का विज्ञापन निरंतर आ रहा है। जब बाबा भक्तों से कमा रहे हैं तो भला इलैक्ट्रॉनिक मीडिया उनसे क्यों न कमाए? माना कि चैनल चलाने के लिए धन की जरूरत होती है, मगर इसके लिए आचार संहिता, सामाजिक सरोकार, नैतिकता व दायित्वों को तिलांजलि देना बेहद अफसोसनाक है। ऐसे में क्या यह सवाल सहज ही नहीं उठता कि निर्मल बाबा के विज्ञापन देने वाले चैनल थोड़ा सा तो ख्याल करते कि आखिर वे समाज को किस ओर ले जा रहे हैं? क्या जनता की पसंद, जनभावना और आस्था के नाम पर अंधविश्वास को स्थापित कर के वे अपने दायित्व से च्युत तो नहीं हो रहे? कैसी विडंबना है कि एक ओर जहां इस बात पर जोर दिया जाता है कि समाचार माध्यमों को कैसे अधिक तथ्यपरक व विश्वनीय बनाया जाए और उसी के चलते चमत्कार से जुड़े प्रसंगों पर हमले किए जाते हैं, वहीं हमारे मीडिया ने कमाने के लिए चमत्कारिक व्यक्तित्व निर्मल बाबा की कमाई से कुछ हिस्सा बांटना शुरू कर दिया। सच तो ये है कि इलैक्ट्रॉनिक मीडिया की ही बदौलत पिछले कुछ वर्षों में एकाधिक बाबा अवतरित हुए हैं। वे इसके जरिए लोकप्रियता हासिल करते हैं और धन बटोरने लग जाते हैं। दोनों का मकसद पूरा हो रहा है। सामाजिक सरोकार जाए भाड़ में। बाबा लोग पैसा खर्च करके लोकप्रियता और पैसा बटोर रहे हैं और चैनल पैसे की खातिर बिकने को तैयार बैठे हैं।
थोड़ा सा विषयांतर करके देखें तो बाबा रामदेव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। उनसे भी बेहतर योगी हमारे देश में मौजूद हैं और अपने छोटे आश्रमों में गुमनामी के अंधेरे में काम कर रहे हैं, मगर बाबा रामदेव ने योग सिखाने के नाम पर पैसा लेना शुरू किया और उस संचित धन को मीडिया प्रबंधन पर खर्च किया तो उन्हें भी इसी मीडिया ने रातों रात चमका दिया। यद्यपि उनके दावों पर भी वैज्ञानिक दृष्टि से सवाल उठाए जाते हैं, मगर यदि ये मान लिया जाए कि कम से कम चमत्कार के नाम तो नहीं कमा रहे, मीडिया की बदौलत ऐसे चमके हैं कि उसी लोकप्रियता को हथियार बना कर सीधे राजनीति में ही दखल देने लग गए हैं।
अन्ना हजारे का मामला कुछ अलग है, मगर यह सौ फीसदी सच है कि वे भी केवल और केवल मीडिया की ही पैदाइश हैं। उसी ने उन्हें मसीहा बनाया है। माना कि वे एक अच्छे मकसद से काम कर रहे हैं, इस कारण मीडिया का उनको चढ़ाना जायज है, मगर चमकने के बाद उनकी भी हालत ये है कि वे सीधे पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही चुनौती दे रहे हैं। आज अगर उनकी टीम अनियंत्रित हो कर दंभ से भर कर बोल रही है तो उसके लिए सीधे तौर यही मीडिया जिम्मेदार है। अन्ना और मीडिया के गठजोड़ का ही परिणाम था कि अन्ना के आंदोलन के दौरान एकबारगी मिश्र जैसी क्रांति की आशंका उत्पन्न हो गई थी।
लब्बोलुआब इलैक्ट्रॉनिक मीडिया जितना धारदार, व्यापक व प्रभावशाली है, उतना ही गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रहा है। सरकार व सेना के बीच कथित विवाद को उभारने का प्रसंग इसका ज्वलंत उदाहरण है। इसे वक्त रहते समझना होगा। कल सरकार यदि अंकुश की बात करे, जो कि प्रेस की आजादी पर प्रहार ही होगा, तो इससे बेहतर यही है कि वह बाजार की गला काट प्रतिस्पद्र्धा में कुछ संयम बरते और अपने लिए एक आचार संहिता बनाए।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

Tuesday, March 20, 2012

''श्रद्धेय माँ !उपन्यास-शिखा कौशिक''

ये है मेरा ब्लॉग जिसका नाम है -''श्रद्धेय माँ  !उपन्यास-शिखा कौशिक'' 
आप  अवलोकन करें .
                                              शिखा कौशिक

Saturday, February 4, 2012

Monday, January 2, 2012

"ब्लॉगर्स मीट वीकली (24) Happy New Year 2012":


image001.gif


"ब्लॉगर्स मीट वीकली (24) Happy New Year 2012":  में आयें .
आपको यहाँ रूमाल और चादर दोनों मिलेंगे . देख कर  फ़र्क़ आसानी से समझ में आ जायेगा .
भारतीय नागरिक जी से एक चर्चा राम नाम पर यहाँ देखें :

भ्रष्टाचार पर अरण्य रोदन के विषय में